
हिंदी साहित्य में ऑनर्स पाठयक्रम दौलत राम महाविद्यालय में सन् 1964 में विधिवत आरंभ हुआ था | उसके पहले सन् 1960 से सन् 1963 तक हिंदी विषय पासकोर्स का अभिन्न अंग था | तब से लेकर अब तक हिंदी साहित्य और भाषा से जुड़े इस पाठ्यक्रम में समय के साथ नए विकल्पों और विषयों को भी अपने में समाहित किया है, ताकि छात्राएं भविष्य में रोज़गार के उत्कृष्ट सुअवसरों का लाभ प्राप्त कर सकें |
हिन्दी भाषा केवल भाषा ही नहीं है , अपितु सरलता -सहजता एवं वैचारिकता से संपन्न वह ऊर्जा प्रदायिनी शक्ति है जो भारतीय लोक समाज की आत्मा को स्वर देने का महत्वपूर्ण कार्य करने के साथ सम्पूर्ण विश्वबंधुत्व एवं वसुधैव- कुटुम्बकम के पावन संदेश को प्रतिपादित कर इस पावन धरा पर सम्पूर्ण जीवों की स्वतंत्रता एवं समानता के समान अवसरों की अनुपम एवं सुंदर प्रेरणादायी कथा कहती है। भाषा एवं साहित्य का अध्ययन मनुष्य को संवेदनशील बनाता है।हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य का अध्ययन भी अपने अध्ययन कर्ता में मानवीय संवेदना का बीजारोपण कर उसे मानवीय प्रकृति को समझ सद्भावना पूर्ण आचरण करने एवं मानवीय सरोकारों से आत्मीयता के साथ जुड़ने एवं जनसम्पर्क के माध्यम से भारतीय समाज की अंतर्रात्मा एवं विचारशक्ति को गहनता से जानने का सर्वोत्तम अवसर एवं प्रेरणा प्रदान करता है | यह अध्ययन एक ओर अपने राष्ट्र की पावन वसुंधरा ,सभ्यता एवं संस्कृति की जड़ों से जोड़ता है, तो दूसरी ओर सम्पूर्ण विश्व एवं ज्ञान के विविध क्षेत्रों के विषय में जानने की अभिलाषा उत्पन्न कर मानवीय ज्ञान क्षेत्र का विस्तार करता है।हिन्दी भाषा और साहित्य का अध्ययन सृजनात्मकता, विवेचन - विश्लेषण और मूल्यांकन की क्षमता का विकास करता है; भाषा-प्रयोग की दक्षता बढ़ाता है। हिन्दी स्नातक के लिए स्नातकोत्तर अध्ययन, टीचर- ट्रैनिंग, भाषा -शिक्षण, मीडिया, (टी वी, रेडियो) जनसंचार और पत्रकारिता, अनुवाद, सृजनात्मक लेखन, रंगमंच, विज्ञापन, हिन्दी कम्प्यूटिंग, हिन्दी अधिकारी, जनसम्पर्क अधिकारी आदि असंख्य कार्य क्षेत्र खुले हैं । हिन्दी का स्नातक नौकरी के लिए विविध प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ प्रशासनिक सेवा की परीक्षा भी दे सकता है।
हिन्दी विभाग में हिन्दी भाषा एवं साहित्य के अध्यापन का कार्य शोध- कार्य में रूचि रखने वाले हिन्दी अध्ययन- अध्यापन को समर्पित अनुभवी प्राध्यापकों द्वारा किया जाता है, जो लेखकीय रचनात्मक, सृजनात्मक गुर्णों से परिपूर्ण , स्वयं को अध्ययनशील और क्रियाशील बनाए रखने के साथ-साथ विभिन्न कार्यशालाओं, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सम्मिलित होते रहते हैं | इसके साथ हिन्दी साहित्य परिषद् द्वारा हिन्दी विभाग की हस्तलिखित पत्रिका ‘मानसी’ का विमोचन भी प्रतिवर्ष होता है और विभिन्न साहित्यिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करके छात्राओं का अंतर्मुखी एवं बहिर्मुखी विकास किया जाता है । इसके साथ ही हिन्दी विभाग द्वारा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक भाषण माला का आयोजन भी प्रतिवर्ष किया जाता है, जिससे अनेक विद्वानों एवं साहित्यकारों के साहित्य संसार से छात्राएं साहित्य पठन- पाठन की प्रेरणा ले सकें। वर्तमान समय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत चार वर्षीय पाठयक्रम् में हिंदी भाषा के संवर्धन हेतु योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रम् ( AEC) सभी विषयों की छात्राओं के लिए अनिर्वाय किया गया है। बी॰ ए॰ (प्रोग्राम ) और बी. कॉम ( प्रोग्राम) पाठयक्रम् में हिन्दी छात्राओं की कक्षा स्तर के अनुसार हिन्दी (क) , हिन्दी (ख) और हिन्दी ( ग) के रूप में पढ़ाई जाती है । अन्य विषयों के ऑनर्स / प्रो. में यह जैनरिक (GE) पाठयक्रम्, कौशल संवर्धक (SEC) पाठयक्रम् और मूल्य संवर्धन (VAC) पाठयक्रम् के रूप में पढ़ाई जाती है।
हिन्दी (विशेष) के चार वर्षीय पाठयक्रम् में छात्राओं को हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के विविध आयामों और पक्षों की जानकारी दी जाती है।इसके साथ ही एक ओर उन्हें हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के प्रमुख साहित्यकारों और उनकी कालजयी कृतियों तो दूसरी ओर अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों की विशिष्ट कृतियाँ भी पढ़ाई जाती हैं जो उन्हें समकालीन ,प्रासंगिक एवं ज्वलंत विषयों पर गहन संवेदनशीलता के साथ विचार- विश्लेषण करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे जब वे शिक्षा अर्जित कर अपनी कर्मभूमि में पर्दापर्ण करें अपना सर्वांगीण विकास कर एक संवेदनशील एवं मानवीय गुर्णों से परिपूर्ण मानव का कर्तव्य का निर्वहन कर सकें।